"मैं" और वो "मैं" और वो
इश्क़ था तो वफ़ा की दरकार भी थी मैं गुनाह सा रहा और वो सज़ा हो गई इश्क़ था तो वफ़ा की दरकार भी थी मैं गुनाह सा रहा और वो सज़ा हो गई
बस एक सवाल उठा है ज़ेहन में अब, क्या वो मैं था या हूँ मैं अभी। बस एक सवाल उठा है ज़ेहन में अब, क्या वो मैं था या हूँ मैं अभी।
ना जाने क्यूँ, ऐ मेरे दोस्त वो समझ नहीं पायें। ना जाने क्यूँ, ऐ मेरे दोस्त वो समझ नहीं पायें।
मैं क्या करता, उन्हें सब कुछ ध्यान था, उन्हें मेरा हर पल पूरा ख्याल था। अटूट हम दोनों मे चाहत थी । श... मैं क्या करता, उन्हें सब कुछ ध्यान था, उन्हें मेरा हर पल पूरा ख्याल था। अटूट हम ...
जीवन के सार को कुछ पंक्तियों में व्यक्त करते हुऐ यह कविता मुझे उस दुनिया से अलग करती है जो अंधेपन के... जीवन के सार को कुछ पंक्तियों में व्यक्त करते हुऐ यह कविता मुझे उस दुनिया से अलग ...